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First Martyr of kargil

First Martyr of Kargil captain Saurabh Kalia

कुछ दिनों से चीज़े बदली बदली सी लग रही है ये बदलाव मुझें पहले के दिनों की याद करा रहा है जब मेरा कोई नाम नहीं हुआ करता था लोग मुझे जानते तो थे, लेकिन मेरे नाम से नहीं बल्कि अपनी मंजिल से मै बस एक ज़रिया हुआ करता था मंजिल तक जाने का, फिर एक दिन मुझे याद है मेरे ऊपर एकाएक लोंगो का काफिला गुज़र रहा था मैं परेशान सा सोच रहा था कि आखिर हुआ क्या है फिर लोग का आना और काफिलो कि कतारे अगले कुछ रोज़ में ही बन्द हो गयी, उस दिन मैं बहुत परेशान था कि आखिर हुआ क्या है फिर धीरे धीरे मेरे रख रखाव पे लोगों का ध्यान जाने लगा।

एक सुबह मेरे एक कोने पे एक बोर्ड लिखा हुआ लगा था ये बोर्ड अभी कल शाम तक नहीं था मेरी परेशानी बढती जा रही थी आप सोचेंगे कि मुझे एक बोर्ड से परेशानी क्यों होगी पर ऐसा नहीं था मैं बेचैन था ये पढ़ने के लिए की बोर्ड पे लिखा क्या है पर मैं पढ़ नहीं सकता था,अचानक से कारों का एक लंबा काफ़िला फ़िर मेरे ऊपर से गुज़रा, मैं फिर इंतज़ार लगाए बैठा रहा, तभी वो काफ़िला पहले की तरह ही मेरे दूसरे छोर से लगते घर पे जा कर रुक गया ये वही घर है जिससे पिछले कुछ दिनों से एक अजीब सी खामोशी की आवाज़ आ रही थी ऐसा लगता था ये घर भी जमीदोंज होके मुझमे ही मिलना चाहता है।

कुछ देर बाद काफ़िला वापस चला गया, मैं इंतज़ार में था कि अब कोई घर से बाहर निकलेगा और मुझे बताएगा कि हुआ क्या है तभी मेरी नज़र मेरे दूसरे छोर और घर के नजदीक लगे बोर्ड पे गयी, बोर्ड पे नज़र जाते ही एक चेहरा मेरे सामने था वो चेहरा जो न जाने कितने बार मुझसे मिला था और हर बार उस चहरे पे एक मुस्कान रहती थी मैंने उसके उदास चेहरे को भी देखा था और उसके निराश चेहरे को भी लेकिन उदास रहना या निराश रहना शायद उसकी फितरत में नहीं था क्योंकि अगले ही पल मैं उसके चेहरे पे आती मुस्कान मेरी खुद की थकावट भी दूर कर देती थी।

यु तो मैं यहां कबसे हु मुझे ये अब याद भी नहीं है और मैं ये याद भी नहीं रखना चाहता था क्योंकी मुझे हमेशा लगता था कि मंजिल पे पहुंच जाने के बाद लोग मुझे भूल ही जाते है लेकिन बोर्ड पे लिखा नाम मुझे इतनी तसल्ली तो करा रहा था कि लोग अब मुझे नहीं भुलेंगे। पर समय बदलता गया और लोग मुझे पहले की तरह वैसे ही भूलते गए जैसा मुझे पहले लगता था मेरा नाम अब भी वही है लेकिन लोग शायद अब बदल गए है मेरे लिए लोगो का बदलना कोई नहीं बात नही है लेकिन वो नाम जो मुझे अमर कर रहा है लोगो का उस नाम को भूलना मुझे डराता है 

मैं कैप्टन सौरभ कालिया मार्ग बोल रहा हु कृपया आप जब भी इधर आए तो एक बार जरूर सोचे कि उस नाम की वीरगाथा कितनी महान है